Part 4
हम जबलपुर रेलवे स्टेशन 17.30 तक पहुंच गए थे। प्लेटफार्म 4 पर ट्रेन आनी थी। ट्रैन का status जानना चाहा तो पता चला कि ट्रेन 6 घन्टे लेट हो चुकी थी। यानि अब ट्रेन रात 11 बजे के बाद ही स्टेशन पर लगने वाली थी (बहुत गुस्सा आया, मतलब जल्दी जल्दी भेड़ा घाट से वापस आये की ट्रेन पकड़नी है लेकिन ट्रेन इतनी लेट हो गयी, कुछ देर बाद समझ आया कि कितना बड़ा वाला कटा है मेरा 😂😂😂) अब इंतज़ार करने के अलावा कोई चारा नही था तो प्लेटफार्म 1 पर waiting room में बैठ गए। टाइम बीतने लगा । बगल में बैठे दो सज्जन आपस में बात कर रहे थे। दोनों की उम्र 60 साल के करीब थी।...
more... तो उनमें से एक ने बोला कि "मैं कल ही हावड़ा राजधानी से जबलपुर पहुंचा हूँ" ( ये बात सुनकर मेरे होश उड़ गए 😂😂), उस वक़्त इतना तो मालूम था कि हावड़ा राजधानी जबलपुर तो नही जाती तो ये सज्जन कौनसी ट्रेन से जबलपुर पहुंचे और इतनी जल्दी जबलपुर से जा क्यों रहे हैं।
अब रात के 9:35 हो रहे थे। इसलिए खाना खाने बगल के food plaza में चले गए। खाना का taste average था।
मैं कुछ देर प्लेटफार्म पर टहलने लगा फिर देखा कि एक MG लाइन (अब तो उसका gauge conversion हो चुका है) पर एक ट्रेन खड़ी थी। सोच रहा था कि ये ट्रैक कहां जाते होंगे? लेकिन दिमाग पर ज़्यादा ज़ोर न देते हुए मैं वापस Waiting Room में बैठ गया। न जाने कब हमारी आंख लग गयी। अब नींद खुली तो पता चला कि रात के 12:30 बजे हुए हैं । बाहर निकले तो देखा कि श्रीधाम एक्सप्रेस प्लेटफार्म 4 पर खड़ी थी और Loco चलने की तैयारी में था। हम भागते हुए प्लेटफार्म 4 की तरफ जाने लगे इतने में Loco ने honk किया और ट्रेन चल दी। FOB से उतरे तो SLR हमारे बगल से गुजर रहा था। ट्रेन का गार्ड बाहर ही खड़ा था तो हमने उसको इशारा किया तो फिर उसने LP को बोलकर ट्रेन की speed कम करने को कहा। जिससे हम किसी तरह आखरी कोच में चढ़ गए और अंदर - अंदर अपने कोच S7 तक पहुंच गए। अब ट्रेन ने रफ्तार पकड़ ली । हम भी आराम से सो गए। पूरा S7 कोच खाली था शायद इटारसी से लोग आते। सुबह उठे तो देखा कि ट्रेन भोपाल आउटर पर पहुंच गई थी। रात के उस डरावने experience को याद करके ही डर लग रहा था। अगर ट्रेन छूट जाती तो रात भर क्या करते?
ट्रेन पूरी रफ्तार में दौड़ रही थी। एक बार फिर 8 घन्टे लेट हो गयी थी। झांसी, ग्वालियर रुकते हुए ट्रेन करीब 6 बजे शाम को आगरा कैंट पहुंच गई। सोचा कि यहीं उतरकर देहरादून जाने की कोशिश करते हैं वरना मथुरा पता नही कब तक पहुंचते।
टैक्सी का प्रबंध होने के बाद निकल गए देहरादून के लिए। और रात 2 बजे देहरादून पहुंच गए।
Trip काफी मजेदार रही।
Thanks