पश्चिम रेलवे की 350 कि.मी. लम्बी उधना-जलगाँव विद्युतीकरण सहित दोहरीकरण परियोजना 2447 करोड़ रु. की लागत से हुई रिकॉर्ड समय में पूर्ण. उधना-जलगाँव दोहरीकृत रेल खंड पर 22 जुलाई, 2018 से रेल यातायात शुरू
माननीय रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल के कुशल एवं अनुभवी नेतृत्व में भारतीय रेल प्रणाली इन दिनों विभिन्न स्तरों पर महत्त्वपूर्ण कायाकल्प के दौर से गुज़रकर गति, प्रगति, सुरक्षा, संरक्षा और समृद्धि की नई राहों पर अग्रसर है और इसी क्रम में पश्चिम रेलवे भी अपने हरसम्भव बेहतर प्रयासों के ज़रिये अपना अहम योगदान दे रही है। अनेक विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पश्चिम रेलवे ने पिछले 15 महीनों के दौरान न सिर्फ अनेक अहम उपलब्धियाँ हासिल की हैं, बल्कि उज्ज्वल भविष्य के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने हेतु...
more... पश्चिम रेलवे के विभिन्न इलाकों में जारी कई महत्त्वपूर्ण रेल परियोजनाओं को भी उल्लेखनीय गति मिली है। अहम रेल परियोजनाओं के ‘फास्ट ट्रेक’ पर अग्रसर होने का नवीनतम उदाहरण पश्चिम रेलवे के मुंबई मंडल के अंतर्गत उधना-जलगाँव रेल खंड की दोहरीकरण परियोजना है, जिसे रिकॉर्ड समय में पूर्ण कर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की गई है।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री रविंद्र भाकर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री ए. के. गुप्ता द्वारा पिछले वर्ष मई, 2017 में महाप्रबंधक जैसे महत्त्वपूर्ण पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद पश्चिम रेलवे के प्रशासनिक तंत्र की समग्र कार्य प्रणाली में लगातार उल्लेखनीय रूप से आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। महाप्रबंधक द्वारा की गई पहल के साथ-साथ राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तरों पर नये ऊर्जावान नेतृत्व के कुशल मार्गदर्शन का फायदा समूची रेल प्रणाली की तरह उधना-जलगाँव दोहरीकरण परियोजना को भी मिला और कुल लगभग 305 कि.मी. लम्बी इस परियोजना के 157 कि.मी. रेल खंड के दोहरीकरण कार्य को पिछले सिर्फ डेढ़ वर्ष में फास्ट ट्रेक पर अंजाम दिया गया, जिसकी बदौलत यह समूची परियोजना पूर्ण होकर 22 जुलाई, 2018 से इस दोहरीकृत रेल खंड पर रेल यातायात का परिचालन शुरू कर दिया गया है।
यह उल्लेखनीय है कि इस परियोजना के शुरुआती चरण में नवम्बर, 2012 तक कुल लगभग 305 कि.मी. में से अमलनेर-धरणगाँव के 25 कि.मी. और व्यारा-उकाई सोनगढ़ के 22 कि.मी. को मिलाकर सिर्फ 45 कि.मी लम्बी लाइन का ही दोहरीकरण हो पाया था, लेकिन उसके पश्चात अक्टूबर, 2014 से जुलाई, 2016 की अवधि के दौरान उकाई सोनगढ़-चिंचपाड़ा (40 कि.मी.), बारडोली-व्यारा (29 कि.मी.), धरणगाँव-पालढी (18 कि.मी.)तथा चलथान-बारडोली (16 कि.मी.) सहित कुल 103 कि.मी. लम्बे रेल खंडों का दोहरीकरण पूरा किया गया। इसी प्रकार फरवरी, 2017 से जुलाई, 2018 की पिछले डेढ़ वर्ष की अवधि के दौरान चिंचपाड़ा-खांडबारा (18 कि.मी.), खांडबारा-नंदुरबार (23 कि.मी.), होल-अमलनेर (33 कि.मी.), डोंडाइचा-होल (28 कि.मी.), पालढी-जलगाँव (10 कि.मी.), उधना-चलथान (11 कि.मी.) तथा नंदुरबार-डोंडाइचा (34 कि.मी.) सहित कुल 157 कि.मी. लम्बी रेल लाइनों का दोहरीकरण पूरा किया गया, जो उधना-जलगाँव रेल खंड की कुल लम्बाई लगभग 305 कि.मी. का 50 प्रतिशत से भी अधिक है। यह अहम उपलब्धि पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री ए. के. गुप्ता द्वारा इस परियोजना के सुचारु क्रियान्वयन में व्यक्तिगत स्तर पर लगातार गहरी रुचि लेकर समुचित मॉनिटरिंग करने, विभिन्न विभागों में परस्पर समुचित समन्वय सुनिश्चित करवाने तथा आवश्यक निर्णय समय पर लेने की प्रक्रिया तय कर ज़मीनी स्तर पर हर कार्य को गति प्रदान करवाने के फलस्वरूप ही सम्भव हो पाई है। महाप्रबंधक श्री ए. के. गुप्ता के अनुभवी नेतृत्व में इस प्रकार की परियोजनाओं के साथ आगे बढ़ना पश्चिम रेलवे के लिए काफी गर्व की बात है। इस परियोजना के समुचित और यथाशीघ्र क्रियान्वयन के लिए पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री गुप्ता द्वारा प्रधान कार्यालय, चर्चगेट से निरंतर मॉनिटरिंग के अलावा ज़मीनी स्तर पर हो रहे कार्य का जायज़ा लेने के लिए समय-समय पर इस रेल खंड के विभिन्न स्थानों के दौरे भी किये गये और सभी तरह की व्यावहारिक दिक्कतों का बेहतर समाधान सुनिश्चित किया गया।
श्री भाकर ने बताया कि इस अहम दोहरीकरण परियोजना के सफलतापूर्वक पूर्ण होने के फलस्वरूप पश्चिम रेलवे संगठन की बुनियादी संरचना से जुड़ी उपलब्धियों की श्रृंखला में में एक नया अध्याय जुड़ गया है। परियोजना की अंतिम कड़ी के रूप में 34 कि.मी. लम्बे नंदुरबार-डोंडाइचा खंड के बीच दोहरीकरण कार्य की हाल ही में पूर्णता के साथ मुंबई मंडल के 305 कि.मी. के उधना-जलगाँव खंड की दोहरीकरण परियोजना को रिकॉर्ड समय में पूरा कर लिया गया है। नंदुरबार-डोंडाइचा खंड का दोहरीकरण 15 दिनों के ब्लॉक के बाद 22 जुलाई, 2018 को 48 घंटे तक दिन-रात कार्य करते हुए सभी पाँच स्टेशनों पर नॉन इंटरलॉकिंग कार्य के साथ सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। इसमें 15 नये टर्नआउट को यूनीमैट, टावर वैगन तथा इंजीनियरी, बिजली और सिगनल एवं दूरसंचार विभाग से 200-250 मजदूरों के सामूहिक कठिन प्रयासों से टी-28 मशीन के उपयोग से इंसर्ट किया गया।
उधना-जलगाँव खंड के दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण की परियोजना महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्य के 4 जिलों सूरत, नंदुरबार, धुले एवं जलगाँव को जोड़ती है। इस रूट पर कुल 380 पुल बनाये गये हैं, जिसमें एक महत्त्वपूर्ण, 52 बड़े एवं 327 छोटे पुल शामिल हैं। इस परियोजना को पूरा करते समय किसी भी यात्री सुविधा को नहीं छोड़ा गया है। यात्री सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कुल 66 उच्च स्तर प्लेटफॉर्म, 24 मध्यम स्तर प्लेटफॉर्म, 7 रेल स्तर प्लेटफॉर्म, 31 फुट ओवर ब्रिज, प्लेटफॉर्म शेल्टर, टॉयलेट, प्रतीक्षालय आदि की व्यवस्था विभिन्न स्टेशनों पर की गई है। आउटडोर केबल का 60,000 कोर किमी इंस्टॉल किया गया है। इस परियोजना को पूरा करने के लिए इंडोर केबल का 34,000 कोर किमी, 400 नये सिगनल, 1200 नये एलईडी लाइट, 400 पॉइंट मशीन, 3400 ग्लुड ज्वाइंट, 20,000 रिले, 1000 ट्रैक सर्किट, 50 आईपीएस आदि उपलब्ध कराये गये हैं। इस परियोजना की कुल लागत 2446.85 करोड़ रु. है। इस परियोजना के अंतर्गत उधना-जलगाँव रेल खंड पर कुल 33 ‘बी’ क्लास तथा 11 ‘डी’ क्लास स्टेशन हैं। महाप्रबंधक श्री गुप्ता के निर्देशानुसार सुनिश्चित किया गया कि कार्य को योजना के अनुसार एवं सभी संरक्षा अनुदेशों का पालन करते हुए पूर्ण संतुष्टि के साथ किया जाये। इस खंड की स्थापना के साथ ही पूर्ण उधना-जलगाँव खंड के रूप में पूरब-पश्चिम के बीच एक अहम दोहरीकृत रेल कोरीडोर उपलब्ध हो गया है। अब इस रूट पर ट्रेनों के तेज संचालन के साथ-साथ अतिरिक्त ट्रेनों की शुरुआत भी की जा सकती है, जिससे इस क्षेत्र के स्थानीय निवासियों को काफी सुविधा होगी। यह उल्लेखनीय है कि पिछले ढाई वर्षों में 209 कि.मी. लम्बे खंड के दोहरीकरण का कार्य पूरा एवं स्थापित किया जा चुका है, जो भारतीय रेलवे पर किसी भी दोहरीकरण की तुलना में एक श्रेष्ठ उपलब्धि है।
इस परियोजना के पूर्ण होने से मुख्य लाभः
उधना-जलगाँव दोहरीकरण परियोजना के पूर्ण होने तथा स्थापना के साथ ही कनेक्टिविटी के ज़रिये बड़े अवसरों द्वार खुलने से इस क्षेत्र के स्थानीय निवासियों के लिए विकास की व्यापक सम्भवना।
सम्पूर्ण उधना-जलगाँव खंड पूरब-पश्चिम कॉरीडोर इस क्षेत्र के स्थानीय निवासियों को लाभ पहुँचाते हुए इस रूट पर अतिरिक्त माल एवं पैसेंजर ट्रेनों की शुरुआत के साथ-साथ ट्रेनों का तेज गति से परिचालन सुनिश्चित करेगा।
इस खंड की क्षमता एवं ट्रेनों की समयपालनता में वृद्धि होगी।
परिचालन अधिक सरल एवं कारगर होगा।
यह नंदुरबार, व्यारा, धरणगाँव तथा इस खंड के अन्य स्थानों के विकास में उत्प्रेरक का कार्य करेगा।
ट्रैक क्षमता में वृद्धि होने से माल परिवहन में आसानी होगी।
यह निर्माणाधीन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के साथ उत्तरी महाराष्ट्र हेतु एक महत्त्वपूर्ण लिंक उपलब्ध करायेगा।