26 दिन तक खड़े-खड़े 5 लाख का डीजल पी गया चूरू-सीकर ट्रेन का इंजन, इस राशि से 18 दिन तक इसी ट्रैक पर ट्रेन चल सकती थी
ब्रॉडगेजट्रैक तैयार होने के बाद चूरू-सीकर के बीच ट्रेन शुरू हो गई, लेकिन जितना खर्च इस ट्रेन को चलाने पर हो रहा है, लगभग उसका 50 फीसदी खर्च इस ट्रेन के सीकर चूरू में 18 घंटे तक खड़े रहने वाले इंजन पर हो रहा है। चूरू से सीकर के बीच एक फेरा लगाने वाली डेमू ट्रेन आवागमन में 4 घंटे लेती है और इसके बाद 12 घंटे सीकर में और 6 घंटे चूरू में खड़ी रहती है। इस दौरान डेमू का इंजन स्टार्ट रहता है। चूंकि डेमू में आगे-पीछे दोनों ओर इंजन लगे होते हैं।...
more... इसलिए ये दोनों इंजन खड़े-खड़े एक घंटे में करीब 20 लीटर के हिसाब से रोज 360 लीटर डीजल बेकार ही पी जाते हैं। अब तक ये ट्रेन चूरू-सीकर के बीच 26 फेरे लगा चुकी है। यानी इस दौरान करीब 8460 लीटर डीजल डेमू का इंजन खड़े-खड़े बेकार जल चुका है। डीजल की बाजार कीमत 64 रुपए प्रति लीटर है। रेलवे को एकमुश्त 60 रुपए में भी डीजल मिले तो भी 4 लाख 51 हजार 600 रुपए डीजल व्यर्थ खप चुका है। डेमू के रैक का एक फेरा चूरू-सीकर के बीच और लगाया जाता तो रेलवे को प्रतिदिन 25 हजार का राजस्व प्राप्त होता और डेमू का भी उपयोग हो जाता है। डीजल भी व्यर्थ नहीं खपता।
डेमू ट्रेन के चूरू-सीकर पहुंचने के बाद ड्राइवर इसके इंजन को चालू छोड़कर चले जाते है। डेमू के इंजन ड्राइवरों का कहना है कि खड़े-खड़े इंजन में प्रति घंटा 10 लीटर डीजल खर्च हो जाता है। इसका कारण है कि चूरू लोको में डेमू के इंजन को चालू करने वाले मैकेनिक नहीं है। इसलिए डेमू का इंजन चालू रहता है। लोको के एक ड्राइवर ने बताया कि इंजन को बंद करना तो आसान है लेकिन इसे फिर से शुरू करने में कम से कम 25 लीटर डीजल खर्च होता है। वहीं दूसरी ओर इंजन के एक किलोमीटर चलने में 15 लीटर डीजल खर्च होता हैं। ऐसे में इंजन को चालू रखना ही ज़्यादा बेहतर होता है। लोको इंचार्ज बीरबल मीणा का कहना है कि हमे डेमू के इंजन को बंद नहीं करने का कहा गया है।
सीकर से 9.30 बजे चूरू पहुंचने के बाद डेमू का रैक प्लेटफार्म नंबर 4 दोपहर 3.45 बजे तक खड़ा रहता है, जिसे 3.45 बजे मेड़ता भेज दिया जाता है। इसके बाद बीकानेर से 2.30 बजे चूरू आने वाले डेमू के रैक को सीकर भेजा जाता है। सुबह 9.35 से 3.45 बजे तक सीकर से आने वाले डेमू रैक स्टेशन पर खड़ा रहता है। इसी तरह सीकर में रोज 7.30 बजे डेमू ट्रेन के पहुंचने के बाद सुबह 7.30 बजे स्टेशन पर खड़ा रहता है।
डेमू ट्रेन को सप्ताह में 3500 किमी चलाना पड़ता है। रेलवे ने ये टार्गेट दे रखा है, मगर चूरू-सीकर डेमू का इंजन सप्ताह में 3160 किमी ही चल पाता है। हालांकि शाम को इसे मेड़ता तक चलाया जाता है, फिर भी साप्ताहिक लक्ष्य पूरा नहीं होता। सप्ताह में 340 किमी बच जाता है। रेलवे को इससे नुकसान हो रहा है।