लखनऊ मीटर गेज की अंतिम यात्रा -
--
इस यात्रा की तैयारी करीब 2साल से की जा रही थी पर बाकि साथियो के शुरू में हां और बाद में ना करने वजह से ये यात्रा अनगिनत बार रद्द करनी पड़ी ,, इसी सब के बीच नार्थ ईस्टर्न रेलवे की प्रेस विज्ञप्ति जारी हो गई लखनऊ मीटर गेज के अमान परिवर्तन की जिसके लिए यह रूट हमेशा के लिए बंद होना था , इसके बाद इस यात्रा के लिए दुबारा से तैयारी शुरू की गई, वापिस से साथियो से बात शुरू की पर हमेशा...
more... के तरह "लोग निकलते गए और करवा छोटा होता गया",आखिर में ये यात्रा के लिए 11मई की तारीक तय हुए और इसमें सिर्फ मैं था और मेरा साथ देने दिल्ली के रेल फैन एडमिन कुश कालरा जी थे ,, हमलोग ने 11मई की सुबह 10:50 की 15313 ऐशबाग - टनकपुर MG एक्सप्रेस लेने का फैसला किया , एडमिन कुश कालरा ने 10मई को नई दिल्ली लखनऊ वातानुकूलित एक्सप्रेस से आने का फैसला किया और मैंने भी एक दिन पहले ही यानि 10 मई की रात को लखनऊ पहुचना तय किया ,जिसके लिए मैंने सुल्तानपुर से मरूधर एक्सप्रेस लिया और देर रात 12 बजे लखनऊ पंहुचा,
-------------------------------------------------- -------------------------------------------
यात्रा का विवरण -
--
पहले से तय प्लान के मुताबिक सुबह 9बजे मुझे कुश ने फ़ोन कर के लखनऊ स्टेशन आने को कहा , इस वक़्त श्री कुश लखनऊ पहुँच चुका था और LJN स्टेशन पर डोरमेट्री ले कर वहा आराम कर रहे थे , कुश का फ़ोन आने के बाद मैं भी स्टेशन से निकल पड़ा , करीब 9:50 पर मैं लखनऊ स्टेशन पंहुचा जहाँ कुश अभी तैयार ही हो रहा था ,, करीब 10मिनट इंतज़ार के बाद वो बाहर आया थोड़ा देर हाल ख़ैरियत लेने के बाद हमने स्टेशन ले पास ही नाश्ता किया और फिर हमलोग ऐशबाग के तरफ निकल पड़े , रिक्शा से हमलोग करीब 10:30 पर ऐशबाग पहुँचे और तुरंत ही टिकट कटा कर प्लेटफार्म की तरफ बढ़ गए , हमारी ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 2 पर YDM4 #6531 लोको के साथ पहले से ही लगी हुई थी , गर्मी का मौसम होने के वजह से हमलोग ने करीब 4बोतल पानी स्टेशन पे खरीद के रख लिया कियुकि इस रूट पे हमारी पहली यात्रा थी और आगे कब क्या मिले उसका कोई अंदाज नहीं था ,, थोड़ी बहुत तस्वीरें लेने के बाद हमलोग ने MG स्लीपर कोच जो की जनरल कोच के तरह इस्तेमाल किया जा रहा था उसमे खिड़की की सीट ले ली ,यह कोच लोको से 10 कोच की दुरी पर था ,कोच अन्दर से साफ़ था , ट्रेन को सिग्नल 10:45 पर ही दे दिया गया था और जैसे ही घड़ी की सुई 10:50 पे पहुँची लोको पायलट में हॉर्न बजा के ट्रेन के प्रस्थान का ऐलान किया , करीब 2 बड़ी सीटी के बाद हमारी ट्रेन अपनी 259किलीमीटर की यात्रा के लिए आगे बढ़ी और साथ ही पीछे देर से आने वाले यात्री दौड़ लगा के ट्रेन पकड़ने में लगे हुए थे ,, हमारी पहली मीटर गेज यात्रा होने के वजह से हमलोग भी काफी उत्साहित थे , ट्रेन ऐशबाग से तो खाली ही चली थी पर आगे पड़ने वाले लखनऊ सिटी , डालीगंज स्टेशन पर यात्रियो की भारी संख्या हमारा इंतज़ार कर रही थी ,, ट्रेन जब लखनऊ के सभी स्टेशनों को पार हुई तो ट्रेन काफी हद तक भर चुकी थी और प्रत्येक सीट पर एक यात्री थे और कुछ यात्री पायदान पर भी यात्रा कर रहे थे ,, ऐशबाग से निकले के बाद से हमारी ट्रेन 40-50की रफ़्तार से दौड़ रही थी ,, और मोहिबुल्लापुर से पहले हमारी पहली क्रासिंग हुई , हमारी ट्रेन को स्टेशन पे रोक गया और उसके करीब 10मिनट बाद सीतापुर ऐशबाग पैसेंजर ट्रेन का आगमन हुआ YDM4 लोको के साथ ,इसके बाद हमारी ट्रेन को हरा सिग्नल मिला , ट्रेन के लखनऊ शहरी इलाको को क्रॉस करने के बाद ट्रेन ने कुछ गति पकड़ी और अब यह 60-75 की रफ़्तार पर भाग रही थी , अब ट्रेन ग्रामीण भारत में दाखिल हो चुकी थी और हमारी ट्रेन छोटे स्टेशनों को रफ़्तार से पीछे छोर कर आगे बढ़ी जा रही थी , बीच में 1-2जगहे क्रासिंग के लिए रुकना भी पड़ रहा था जहा यात्री पेड़ से ताज़े आम तोड़ने और चहलकर्मी कर के आनंद ले रहे थे , जब ट्रेन एल क्रासिंग के लिए केजड़ी थी इसी बीच हमारे डब्बे में एक TTE दिखाई पड़े जिनको देख कर सभी यात्री अचम्भित दिखे , लोगो ने बातया की इस रूट पर टिकट चेकिंग पिछली बार कब हुई थी वो उनको याद भी नहीं , खैर हमारे डब्बे में कोई भी यात्री बिना टिकट के नहीं पाया गया और TTE आगे बढ़ गया ,, हमें रास्ते भर में अमान परिवर्तन की तैयारिया साफ़ दिख रही थी ,, हम छोटे बड़े स्टेशन पर रेल ट्रैक सम्बंधित सामान रखा हुआ था और कुछ कुछ दुरी पर ट्रैक पे डाले जाने वाली गिट्टी के भी बड़े ढेर लगे हुए थे , इसी सब के बीच ऐशबाग के बाद पहला बड़ा स्टेशन सीतापुर आ गया ,ट्रेन यहाँ 30मिनट बिलंब से आई थी , यहाँ पर काफी यात्रियो ने अपनी यात्रा समाप्त की और कुछ नए यात्री भी जुड़ गए ,, ट्रेन के स्टेशन पे आने के बाद RF कुश ने कुछ खाने पीने का इंतेज़ाम करने और प्लेटफार्म का जायजा लेने का फ़ैसला किया , पर हमारा डब्बा ऐसी जगह था जहाँ खानपान हेतु ज्यदा विकल्प नहीं थे इसलिए कुश ने सीतापुर से आलू के पकोड़े लिए जो की ताज़ा बने हुए थे , विलम्ब से आने के वजह से यहाँ ट्रेन केवल 5मिनट ही रुकी , सीतापुर के बाद ट्रेन जंगलो के बीच से होते हुए अपनी मंजिल के तरफ बढ़ने लगी ,, ट्रेन अब विलम्ब को कुछ कम करने में लगी थी ,, बीच बीच में कुछ स्टेशनों पर रुकने के बाद ट्रेन अपने अगले बड़े स्टेशन लखीमपुर की तरफ बढ़ चली थी अब ,, करीब 3:30 के आसपास हम लखीमपुर स्टेशन के प्लेटफार्म 1 की ओर दाखिल हुए , यह स्टेशन बेहतर था तथा यहाँ खानपान के लिए सभी विकल्प मौजूद थे पर हमारे पास उचित मात्र में पानी और बाकि सामान मौजूद होने के वजह से हम दोनों ने अपनी खिड़की वाली सीट पर ही बने रहने ही जयदा बेहतर समझा ,, करीब 5मिनट के ठहराओ के बाद हमारी ट्रेन आगे निकल चली , लखीमपुर के बाद जंगल और भी घने होते चले गए और बीच बीच में कुछ छोटे कसबे भी दिखाई दिए , ट्रेन अपने नियमित ठहराओ पर रूकती हुईे अपने अगले बड़े स्टेशन मैलानी की तरफ बढ़ चली थी , करीब 20मिनट के देरी से हम मैलानी में दाखिल हुए , यह स्टेशन अपने खुले मैदान जैसे यार्ड के बावजूद किसी भूत बंगले जैसा लग रहा था , यह स्टेशन उजाड़ होने की देहलीज़ पर खड़ा दिखा यार्ड की सभी लाइन को जंग लग चुके थे केवल प्लेटफार्म की लाइन ही कुछ ठीक स्तिथि में लग रही थी , इस स्टेशन का यार्ड किसी भी बड़े स्टेशन जैसा ही था मगर यहाँ केवल रेलवे जंग लगा यार्ड और जंग लगे पुराने मीटर गेज डब्बे ही थे ,, खैर यहाँ RF कुश ने उतर के स्टेशन का जायज लिए और यहाँ के छोले का ज़ायका लिया जो की ताज़े बने हुए थे , यहाँ ट्रेन के लोको पायलट और गॉर्ड बदले गए जिसके वजह से ट्रेन 15मिनट बाद रवाना हुए ,,