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मिजो समाज देश के सबसे सामंजस्यपूर्ण और अनुशासित समाजों में से एक है। इसकी विशिष्टता इसके सामाजिक संस्थानों में झलकती है जिनमें एक जागरूक नागरिक, गैर सरकारी संगठन, चर्च और नागरिक समाज को शामिल किया जाता है। मिजोरम में लोगों ने जबरदस्त आत्म-अनुशासन देखा है और एक बार घर से बाहर निकलने के दौरान एक दूसरे से दूरी बनाए रखने की प्रक्रिया को अपनाया है। अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर लॉकडाउन को लागू करना एक भारी भरकम कार्य था जो सीमा की झरझरी प्रकृति को देखते हुए किया गया था। हालांकि, ग्रामीण सोसाइटी और स्थानीय कार्य बल ने लोगों के आने के प्रबंधन के लिए खड़े हो गए। इसी तरह, देश के दूर-दराज के हिस्सों से आए प्रवासी कामगारों का हिसाब रखा गया...
more... और इस अवधि में उनकी सहायता करने के उपाय किए गए। लॉकडाउन अवधि के दौरानलगभग पंद्रह हजार अतिथि कर्मचारियों के रहने और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था प्रदान की गई थी।
मणिपुर राज्य ने देश के बाकी हिस्सों को सिखाया कि दुकानों के सामने गोले बनाकरकिस प्रकार प्रभावी तरीके से सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित की जा सकती है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी नागरिक सामाजिक संगठनों ने सक्रिय रूप से लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग लागू करने में मदद की।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए), रक्षा मंत्रालय (एमओडी) और रेल मंत्रालय ने पूर्वोत्तर राज्यों को चिकित्सा आपूर्ति और उपकरण और आवश्यक वस्तुएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में सहयोग करने के लिए देश के दूरदराज के हिस्सों में आवश्यक चिकित्सा सामग्री पहुंचाने के लिए एमओसीए द्वारा 'लाइफलाइन उड़ान'की उड़ानें संचालित की जा रही हैं। आवश्यक कार्गो में देश भर में कोरोना योद्धाओं के लिए आवश्यक प्रतिक्रियाशील द्रव्य, एंजाइम, चिकित्सा उपकरण, जांच किट, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), मास्क, दस्ताने और अन्य सामान शामिल हैं। एयर इंडिया और एलायंस एयर का उपयोग करके राज्य सरकारों द्वारा बताई गई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मेडिकल कार्गो की घरेलू जी2जी आवाजाही'लाइफलाइन उडान' आपूर्तियों के जरिये क्षेत्र में प्रभावी रही है। घरेलू और निजी क्षेत्र (अस्पतालों इत्यादि) द्वारा आवश्यक फार्मा, खाद्य पदार्थों और आवश्यक वस्तुओं, और भारतीय फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण निर्माण उद्योग द्वारा आवश्यक कच्चे माल और मशीनरी को सभी सार्वजनिक और निजी एयरलाइन वाहक और एयर कार्गो का उपयोग करके भेजा गया था। पवन हंस लिमिटेड सहित हेलीकाप्टर सेवाएं पूर्वोत्तर क्षेत्र में परिचालन कर रही हैं, जो महत्वपूर्ण चिकित्सा कार्गो और रोगियों को पहुँचाती हैं। 30 अप्रैल 2020 तक पवन हंस ने 7,529 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 2.03 टन माल ढोया है। विभिन्न हितधारकों के बीच निर्बाध समन्वय कायम करने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) और एमओसीएद्वारा तीन दिनों की रिकॉर्ड अवधि में लाइफलाइन उड़ानों के समन्वय के लिए एक पोर्टल विकसित किया गया था।
क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति में कोई समस्या नहीं है। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के अपने मिशन के एक हिस्से के रूप में, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) जिसका मुख्यालय मालीगांव में है, अब तक 100 से अधिक पार्सल एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन कर चुका है, प्रमुख औद्योगिक केन्द्रों दिल्ली, मुंबई, नागपुर, बेंगलुरु और कोलकाता से विभिन्न प्रकार का सामान पिछले डेढ़ महीने के दौरान गुवाहाटी, नया गुवाहाटी, अज़ारा, चंगसारी, अगरतला और न्यू तिनसुखिया लाया जा चुका है। अनेक राज्यों में, हेल्पलाइन के साथ होम डिलीवरी आपूर्ति प्रबंधन नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए थे। राज्य सरकारों ने अपने लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान की है जो लॉकडाउन के कारण बाहर फंस गए थे और वित्तीय कठिनाई का सामना कर रहे थे। राज्य सरकारों ने एनएफएसएद्वारा शामिल नहीं किए गए लोगों को आवश्यक राहत भी वितरित की। लाभार्थियों को 3 (तीन) योजनाओं यानी एनएफएसए, पीएमजीकेएवाई और ओएमएसएस(डी) के तहत चावल का वितरण एनएफएसएके लाभार्थियों और गैर-लाभार्थियों दोनों को संबंधित उपायुक्तों के माध्यम से किया जा रहा है। सरकारें प्रवासियों, फंसे हुए ट्रक ड्राइवरों, सरकारी कर्मचारियों, बच्चोंऔर अन्य कमजोर लोगों को सूखा राशन प्रदान कर रही हैं। मिजोरम में, राज्य, जिला और स्थानीय स्तर पर कोविड टास्क फोर्स स्थापित किया गया है। स्थानीय स्तर के टास्क फोर्स में प्रत्येक इलाके के प्रमुख लोग शामिल होते हैं। वे यंग मिज़ो एसोसिएशन और गाँव / स्थानीय परिषदों का हिस्सा होते हैं। उन्होंने आम तौर पर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, संपर्क का पता लगाने और एक दूसरे से दूरी बनाए रखने का पालन सुनिश्चित करना होता है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति आम आदमी को बिना किसी बाधा और परेशानी के बनाए रखी गई।
चिकित्सा आपूर्ति और उपकरणों की तत्काल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 के लिए मार्च और अप्रैल में सभी पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 235.59 करोड़ रूपये जारी किए। हालांकि, कुछ वस्तुएं और आवश्यकताएं हैं जिन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुदान के अंतर्गत शामिल नहीं किया गया था। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय आगे आया और उसने पूर्वोत्तर राज्यों की तत्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आर्थिक मदद के रूप में 25 करोड़ रुपये की मंजूरी दी, जिसे भारत सरकार द्वारा अन्य अनुदानों के अंतर्गत पूरा करना संभव नहीं था।
केन्द्र सरकार ने कोविडसे प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए राज्य सरकारों को तुरंत धनराशि जारी की। केन्द्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों को अप्रैल और मई 2020 के राजस्व घाटे की किस्तों के तहतराज्य आपदा प्रतिक्रिया शमन निधि (एसडीआरएमएफ) और केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के केंद्रीय हिस्से की पहली किस्त में अप्रैल 2020 से अब तक कुल 7923.78 करोड़ रुपये जारी किए हैं (अरुणाचल प्रदेश- 935.28 करोड़ रुपये, असम 3090.64 करोड़ रुपये, मणिपुर - 822.22 करोड़ रुपये, मेघालय - 467.02 करोड़ रुपये, मिजोरम- 493.46 करोड़ रुपये, नागालैंड - 937.12 करोड़ रुपये, सिक्किम-278.30 करोड़ रुपयेऔर त्रिपुरा- 899.74 करोड़ रुपये।
एमएसएमईऔर पशु संसाधन और मत्स्य पालन सहित कृषि के लिए पैकेज सहित केन्द्र सरकार द्वारा विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा से आजीविका परिदृश्य में सुधार होगा और लघु उद्योग को एक नई गति प्रदान करेगा जो पूर्वोत्तर क्षेत्र की रीढ़ है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों के सामने अगली चुनौती देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे अपने लोगों को लेना है जो घर लौट रहे हैं। विशेष ट्रेनों का आगमन शुरू हो गया है और यात्रियों को लोगों से मिलाने से पहले उन्हें क्वारंटाइन में रखने की व्यवस्था की गई है। कोविड पॉजीटिव लोगों को अलग करने और समर्पित सुविधाओं में उनका इलाज करने के लिए व्यापक जांच की जा रही है। केन्द्र सरकार के प्रयासों और डोनरमंत्रालय की विशेष पहल ने लोगों का दिल जीत लिया है। यह क्षेत्र भविष्य में आने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।”
एएम/केपी
(रिलीज़ आईडी: 1625752) आ