धन्यवाद विश्वनाथ जी आपकी जानकारी देने के लिए. दरअसल यह लिपि ही ऐसी है कि इसे भ्रम से मैं अभी तक बांग्ला ही समझता रहा. मेरे बचपन में एक मैथिलि पत्र छपा करता था " मिथिला मिहिर" जिसमे देवनागरी लिपि का ही प्रयोग होता था.सिर्फ एक या दो कालम इस लिपि में होते थे उसके पश्चात् मैंने इसे सीतामढ़ी स्टेशन पर देखा है. यहाँ तक कि दरभंगा में भी हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में बोर्ड हैं लेकिन मैथिलि में नहीं. एक बार पुनः धन्यवाद मेरी भूल सुधlरने के लिए.